कैंसर (नाटिका)
सूत्रधार
साहिबानो, मेहरबानो, कद्रदानो,
आया हूं ले एक नाटिका, मानो चाहे ना मानो.
एक युवक
मानेंगे क्यों नहीं, बताओ तो सही,
नहीं बताओगे तो फिर, बात तुम्हारे मन में रही.
बताइए.
सूत्रधार
बताता हूं, बताता हूं, जरा ध्यान से सुनो,
पसंद आए तो दाद भी देना, पहले इसको मन से गुनो.
आज 4 फरवरी है. 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. यह युवक प्रश्न पूछेगा और मैं उत्तर देने की प्रयास करूंगा.
कैसर क्या होता है?
अजी, कैसर एक भयंकर रोग होता है.
वो कैसे?
कैंसर रोग में शरीर के भीतर कुछ कोशिकाएं किसी कारण अनियंत्रित होकर बढ़ती हैं.
ओहो!
अनुपचारित कैंसर आसपास के सामान्य ऊतकों या शरीर के अन्य हिस्सों में फैलता है तथा जिसके कारण गंभीर रोग, विकलांगता और मृत्यु हो सकती है. इसीलिए लोगों को कैंसर के खिलाफ़ लड़ाई लड़ने में एकजुट करने के लिए प्रतिवर्ष 4 फरवरी को मनाया जाता है.
इसीलिए लोगों को कैंसर के खिलाफ़ लड़ाई लड़ने में एकजुट करने के लिए प्रतिवर्ष 4 फरवरी को मनाया जाता है.
इसे मनाने का क्या उद्देश्य है?
इसका उद्देश्य कैंसर के बारे में शिक्षा और जागरूकता बढ़ाना तथा विश्व में सरकारों और व्यक्तियों को कार्रवाई करने के लिए संवेदनशील बनाना है.
यह 4 फरवरी को ही क्यों मनाया जाता है?
विश्व कैंसर दिवस की स्थापना की 4 फरवरी वर्ष 2000 को पेरिस में न्यू मिलेनियम के लिए कैंसर के खिलाफ़ विश्व शिखर सम्मेलन में पेरिस चार्टर द्वारा की गयी थी.
कैंसर का पता कैसे चलता है?
कैंसर के शुरूआती संकेत होते हैं–स्तन में नयी गांठ या बदलाव, आंत्र या मूत्राशय की आदतों में परिवर्तन, कोई ख़राश, जो कि ठीक नहीं हो पाती, शरीर से असामान्य रक्तस्राव या डिस्चार्ज, वज़न में बिना किसी कारण के वृद्धि या कमी, निगलते समय कठिनाई होना, मस्से या तिल में प्रयत्क्ष परिवर्तन, लगातार स्वर बैठना या खाँसी न हटना आदि.
इसका मतलब यह हुआ, कि कैंसर यानी मौत?
हर साल तमाम तरह के कैंसर के कारण लाखों लोगों की मौत हो जाती है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कैंसर निश्चित ही काफी घातक बीमारी है, पर अगर इसके बारे में लोगों को सही जानकारी हो तो स्थिति का समय से निदान किया जा सकता है. कैंसर की समय से पहचान हो जाने पर इलाज और इसके कारण होने वाली गंभीरता और मौत के खतरे को कम किया जा सकता है.
कैंसर को लेकर समज में कुछ मिथ और अफवाह भी फैले हुए होंगे?
बिलकुल सही कहा आपने, अन्य बीमारियों की ही तरह समाज में कैंसर को लेकर भी तमाम तरह के मिथ और अफवाह फैले हुए हैं.
कुछ मिथ और अफवाह बताइए.
1. मिथ- कैंसर को मतलब मौत निश्चित है.
प्रारंभिक पहचान और उपचार के साथ, अधिकांश रोगियों की जान बचाई जा सकती है.
2. मिथ: कैंसर संक्रामक है, यह रोगी से दूसरों को भी हो सकता है.
लोगों के बीच कैंसर की संक्रामकता को लेकर भी काफी भ्रम की स्थिति है. हर रोग के रोगी की तरह कैंसर के रोगी से भी बचना श्रेयस्कर है, लेकिन यह छूत की बीमारी नहीं है.
3. मिथ: स्तन में गांठ होने का मतलब स्तन कैंसर है.
कोई जरूरी नहीं है, कि स्तन में गांठ होने का मतलब स्तन कैंसर है, अगर आपको स्तन में गांठ या स्तन के ऊतकों में कोई बदलाव दिखाई देता है, तो समय रहते डॉक्टर से सलाह लेकर स्थिति का सही निदान और उपचार अवश्य करा लेना चाहिए.
4. मिथ: बाल झड़ रहे हैं तो यह कैंसर का संकेत हो सकता है.
सिर्फ बाल झड़ने को कैंसर का संकेत नहीं माना जा सकता है. डॉक्टर से संपर्क कर कारण बताया जा सकता है.
5. मिथ: माइक्रोवेव में गर्म, खाना खाने से कैंसर होता है.
यह अवश्य ध्यान देने योग्य बात है, कि माइक्रोवेव की किरणें स्वास्थ्य के लिए वैसे ही हानिकारक हैं, लेकिन यह कहना सही नहीं होगा, कि माइक्रोवेव में गर्म, खाना खाने से कैंसर होता है.
इस नाटिका से आप क्या संदेश देना चाहते हैं?
संदेश तो यही है, कि इस रोग से बचने का प्रयास करें, अगर फंस भी जाएं तो घबराएं नहीं, आजकल इसके इलाज की संभावना बढ़ गई है. युवराज सिंह, संजय दत्त जैसे स्टार इसके उदाहरण हैं.
दर्शकों और श्रोताओं में से एक व्यक्ति-
आपने कैसर के बारे में बहुत कुछ बताया, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
आप लोगों ने ध्यान से सुना और गुना, आप लोगों का भी बहुत-बहुत धन्यवाद.
कुछ रुककर,
चलो युवक, अब कहीं और जागरूकता का परचम फहराते हैं.
पटाक्षेप.
कैंसर दिवस पर लोगों को यह जानकारी बहुत उपयोगी है . वैसे तो आज इस रोग के बारे में आम लोगों को पता है पर जो जानकारी आप ने लिखी है, लोगों में जागरूपता आईगी .एक बात जो आप ने हरी सब्जीयाँ, सलाद फ्रूट्स के बारे में लिखा है यह बहुत अच्छा है . अज कल इस बढ़ते रोग के कारण भी बहुत हैं , ज़िआदा शराब पीना, सिग्र्त्नोशी की आदत , सिर्फ जीभ की खातर बेकार बजारी खाने खाना, कैंसर और अन्य रोगों को दावत देना है . हम पीजे बर्गर पर तो ढेरों पैसे खर्च देते हैं पर फ्रूट खाने की आदत नहीं डालते जो कम खर्च और बालानशीं सब्त हो सकता है . 4 फरबरी कैंसर दिवस पर इस के बारे सोचना और सिहत के लिए जंक फ़ूड छोड़ सब्जीयाँ फ्रूट की ओर धियान देना चाहिए .
गुरमैल भाई, परामर्श देती हुई इतनी शानदार प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए आपका हार्दिक अभिनंदन.
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डॉ. डबास के अनुसार, अपने शरीर पर ध्यान दें और रैगुलर चेकअप कराएं।
बीमारी का निदान होने के बाद जल्द से जल्द इलाज कराएं। समय-समय पर फॉलो अप करें।
अगर आप इस बीमारी पर ध्यान देंगे, तो रैगलुर चेकअप कराकर बीमारी को जल्द पकड़ पाएंगे ऐसे में इलाज सफल होने के चांसेस बढ़ जाते हैं। जटिलताएं कम होती हैं और पैसा भी कम खर्च होता है।
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हिमानी ने बताया है कि वजन कम करने में डाइट के साथ वर्कआउट का भी अहम रोल है। उसने कहा कि उसके वर्कआउट रूटीन में मुख्य रूप से 30 मिनट कार्डियो के साथ 45 से 50 मिनट वेट ट्रेनिंग और सेल्फ एक्सरसाइज शामिल हैं।