गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

नींद से जागना, जागकर देखना
जिंदगी से न तुम भागकर देखना।
मैं तुम्हें याद आऊं न आऊं कभी
तीरगी में रोशन-ए-शाद कर देखना।
बंदिशों में भी है एक दुनिया बसी
स्वप्न में तुम मुझे याद कर देखना।
मिल भी जाएगा तुमको बहुत कुछ
दिल से कोई फरियाद कर देखना।
निगाहों से तेरे  है ज़माने की रहमत
आंखों-आंखों में ही संवाद कर देखना।
— वाई. वेद प्रकाश

वाई. वेद प्रकाश

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