कविता

स्वर सम्राज्ञी 

स्वर सम्राज्ञी 

गान कोकिला मधुर कंठी,
भारत मां की दुलारी बेटी,
मां सरस्वती की लाड़ली पुत्री,  
भारत रत्न माणिक-मोती।। 
स्वर कोकिला की विदाई,
शोकमग्न, चहुँ ओर तन्हाई,
स्वर मल्लिका  करिश्माई,
वाणी मधुरिम थी जादुई।। 
सप्तसुरोंकी तान सुरमयी,
साज सतरंगी छटा बिखरायी, 
वतन के लोगों को चेताती,
कभी मासूमियत गुदगुदाती।।
पूजनीया लता दीदी गुणवंती,
श्री चरणों में मिले शरण, मुक्ति,
शत शत वंदन स्वर सम्राज्ञी,
सम्मानों को सम्मानित करती।।
अपूरणीय क्षति से ग़मगीन संसार,
सुरसाज, सरगम, संगीत मुक्तहार,
गूंजेंगे सदा आपके मधुरिम स्वर,
दिग्दिगंत मधुरिम वाणी झंकार।।
भारत माता की शान थी आप रागिनी,
मां सरस्वती का वरदान थी आप मोहिनी,
आप-सा न दूजा, होगा न दूजा, 
अश्रुपूरित शब्दपुष्प श्रद्धांजलि भावभीनी।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८