द्विगुणित सुन्दर छंद
झूले ऊँचा-नीचा, कर्मों का ये खेला। हिय हो शुभ भावों का, निर्मल मंगल मेला।। जीवन पावन धारा, धर्म-कर्म भंडारा। मानवता
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Read Moreअस्त्र, युद्ध विनाशकारी, जीव सृष्टी विध्वंसकारी, शस्त्र मीठी मुस्कान का, जीवन का प्रेम पुजारी।। रोते को हौले से हंसा देती,
Read Moreद्विगुणित सुंदर छंद हिन्दी प्रियतम भाषा, बोले भारत वासी। वाणी मीठी जानो, निज अभिमान सुहासी। जैसे देशी घी की, खुशबू
Read Moreसुमी चाहे घरेलू सहायिका थी, अपने बच्चे अनूप को स्वयंसिद्ध बनाया था सुमी ने। अनुशासित जीवन था उसका। सुबह परम
Read Moreजगततारिणी माँ, जगदंबे माँ, रिद्धि, सिद्धि दात्री सुहासिनी मां, भक्ति दो, शक्ति दो, हमें साहस दो,, ज्ञान गागर माणिक मोती
Read Moreपुण्य कर्म जब उदयित होते, जीवन निज सार्थक होता, मानवता ही धर्म मनुज का, सहज मिटे भव-भव गोता, पूजन, वंदन,
Read Moreदोनों भाई एक दुसरे के साथ-साथ ही अपनी कंपनी में जाते। बडा अनीश, छोटा रोनीश। माता सुलोचना देवी अपने लाडलों
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