कविता

“प्रिय युवा, जागो, चेतो। “

“प्रिय युवा, जागो, चेतो। “

युवा ऊर्जा को सही दिशा देते स्वामी विवेकानंद जी,

विकास पथ मार्गदर्शन आलोक से दीपित करते स्वामी जी,

नव चेतना से नवसृजन की आशा जागृत करते स्वामीजी ,

नव सृष्टि की झंकार, राष्ट्रप्रेम की पुकार, 

ऊँची उड़ान का हौसला देते स्वामीजी,

दुश्मन को फटकारते,

देशद्रोहियों को ललकारते,

पूज्य स्वामी विवेकानंद जी को हमारा कोटि कोटि वंदन बारंबार, 

कल्याणी मंगलमयी सोच,

जन सेवा ही प्रभु सेवा मानता आचरण,

सुन्दर सीख ,

” निर्भिड हो बढ़ो आगे, जागो, चेतो मेरे प्यारो,

अब न रुकना, अब न थकना,

अन्याय का प्रतिकार, न्याय की जयकार हो। 

जीवन की भूलभुलैया में अपनी संस्कृति,

अपने संस्कार, अपनी परंपराओं को संजोये रखना। 

हो शालीन पहनावा, आदर सत्कार की शुभ भावना। 

दया धर्म, करुणा भाव का निर्वहन करना, परम कर्तव्य हैं हमारा। 

आओ, मानव जीवन सार्थक करें, 

धर्माचरण से मानवता को आलोकित करें,

माँ भारती का गौरव, सम्मान बढ़ाये।” 

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*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८