कविता

आयी होली, रंगों का त्यौहार!

भीगी चूनर, भीगा तन-मन, अबीर, गुलाल, नव रंग,

झुमे, गाये, खेले होली, सब मिल करें हुडदंग।।

मनमोहना की मोहिनी से वृंदावन में आयी बहार,

प्रेम रस धार बरसातें आयी होली, रंगों का त्यौहार।।

लाल, पीला, रंग-रंगीला, बावरा मन, हंसी ठिठोली,

नटखट कृष्ण कन्हैया, वृंदावन में खेले हौली।।

भर रंग, ले पिचकारी, आवे राधा रानी रमती-गमती,

रूमक झुमक गोपियों संग फाग गीत गुनगुनाती।

बांसुरी की धुन सुरीली, मनमोहना मनभाये,

आओ री सखियों मिलजुल हम होली उत्सव मनाये ।।

प्रेम रंग रस धार में तन-मन भीगा जाये,

भूल जाये गिले-शिकवे, भेद भाव सारे भूल जाये।।

बासंती पवन लहराती चली, खेले मिलजुल होली,

रंगबिरंगे फूल खिले हैं, ऋत सुहानी अलबेली।।

होली का हुडदंग करे मनमौजियों की टोली,

बरसेगी खुशियां रूमझुम, आयी होली आयी।।

रंग, उमंग, तरंग फुहारों से मनवा महक जाये,

बहके, चहके, टहुके, पर मर्यादा न कभी भुलिये।।

कुरीतियों का करें दहन, दुर्भावना की होली,

ध्यान हमें रखना होगा, बदरंग न होवे होली।।

होली त्यौहार है रंगों का मेला, तरोताजा मन हो जाये,

द्वेष, दंभ, अहंकार भुला, इंद्रधनु से सब रंग मिल जाये।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८