मां भारती का सपूत हूं मैं
मां, मैं छोटा-सा दीपक बनूंगा, अंधकार को रोशन कर दूंगा।। आंधी-तूफान में जलता रहूंगा, हौसले से उजियार भरुंगा।। नील गगन
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Read Moreस्वेद परिश्रमी का गौरव गान, अन्नदाता किसान का सम्मान, हीरे जवाहरात बेशकीमती, बूंद बूंद झरते अनमोल मोती।। माटी में पसीने
Read Moreमैं हूं हिंदी की भूली बिसरी किताब, कभी था मेरा रूप रंग लाजवाब, जिल्द फटी, मूडे, मोडे हुए पन्ने, बिखरने
Read More“प्रिया, मैं शाम को देर से आऊंगा।” ” हम सब मित्र आज फ्रेंडशिप डे मना रहे हैं।” ” मैं भी
Read More“कंक्रीट जंगल में कैसे रहें? कैसे लहलहायेगी मेरी डालियां?” ” न तो देखभाल करने के लिए किसी के पास समय
Read Moreथोडी-सी थी आमदनी, छोटा सा घर, अंश लाडला, जिंदगी की जंग लडी हम ने, जैसे कोई अकेला ।। जिद, जुनून, जीवटता
Read Moreरिमझिम पानी बरसता, झरती पावन धार।शीतल जल, निर्मल नदी, हरियाला संसार।। जीवन दात्री सृष्टि से, सीखो परोपकार।वरदान मिला प्रभु से,
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