कविता

तर्पण

श्रद्धा, आस्था से पूजन करूं,

दिवंगत पितरों का तर्पण करुं,

याद करुं उनके परम उपकार.

यादों के पलने में अलमस्त झुलूं।।

भोग चढ़ाऊं, दान पुण्य करुं,

पितरों की आत्मा की शांति चाहूं,

पावन प्रभु चरणों में स्थान मिले,

सृष्टि रचयिता से अरज करूं।।

पसंदीदा सब व्यंजन बनाऊं,

कव्वे को प्रतीकात्मक खिलाऊं,

पूजन, अर्चन, वन्दन प्रेमभाव से,

घर के बुजुर्गों का सम्मान करूं।।

पितृ ऋण से मुक्त होने का प्रयास,

मिलेंगे आशीष, आशीर्वाद उजास,

सुख, आनंद, सुकून बहार आएगी,

दुलार छाँव में परमानन्द बहार आएगी।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८