कविता

नयी डगर

मुड़ गयी राह, जिंदगी की नयी डगर,

साथी अनजाना, हमराह, हमसफर,

शुभमंगल प्रणय-बंधन जीवनभर का,

अजनबी से बंधी, गोरी की जीवन की डोर।।

हाथों में ले हाथ, चली पिया सजना संग,

प्रेम, विश्वास, समर्पण, उल्लसित उमंग,

सपने सतरंगे, प्रेम आलिंगन साजन का,

महकी, चहकी जिंदगी, हिय प्रेम तरंग।।

फूलों में थे शूल, चिलचिलाती धूप कभी,

शांत जीवन सरोवर में, उथल-पुथल कभी,

झील सी अँखियों से, प्रेम रस धार बरसती,

गम के बादल छंट जाते, खिलती प्रेम सुरभि।।

पिया की प्रिया बन, हो जाता सफर सुहाना,

हिचकोलों से क्या डरना, अलमस्त मुस्कुराना,

सुखकारी पथगामिनी, वैवाहिक जीवन आनंद,

बाहों में प्रियतम की प्रणय फ़ुलवारी खिलना।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८