लघुकथा

आशादीप 

आज खिलाड़ियों का चयन होना था।

बड़ी आशा थी उसे, वह अपने देश के लिए खेल पायेगा। विश्वास था, अपने खेल कौशल से जीत लेगा मैदान।

छोटीसी चूक ने सुनहरे सपनों को चकनाचूर कर दिया। अनमना सा, निराश वह बारबार फिसलकर गिरती, पुनः पुनः चढ़ती चींटियों को देख रहा था।

जिद की पराकाष्ठा, जुनून, जीवटता। जीत का मंत्र मिल गया था उसे।

विकास चाहते हो तो आत्मनियंत्रण, स्वानुशासन से अपनी गलतियों में सुधार कर आगे बढ़ना होगा।

अपनी कमीपेशियाँ सुधारनी होगी। वह आज ही अपने कोच सर से बात करेगा। अपनी कमियों को सुधारेगा।

हीन भावना तज सतत अभ्यास, अथक प्रयास करने होंगे।

आशादीप प्रदीप करना होगा। 

उत्साह से भर गया मन।

अपनी गेंद ले, दृढ़ संकल्प के साथ वह मैदान की ओर बढ़ गया।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८