असाधारण
“अरे काहे का महान कवि? आज भी प्रकाशन से पहले, हर रचना पर मुझसे सलाह लेता है।” आत्ममुग्ध मास्टर जी महफिल में रवि के बारे में बोल रहे थे।
“तभी तो असाधारण है। आज भी साधारण लोगों को पूरी अहमियत देता है।” पत्नी की मुस्कान उन्हें आईना दिखा रही थी।
अंजु गुप्ता