भारी पाँव
दादी बनने की ख्वाहिश वह न जाने कब से सजोए बैठी थी। रात बहू की उल्टियों की आवाज़ सुन, वे समझ चुकी थीं कि हो न हो बहू के पाँव भारी हैं।
सुबह नींबू पानी पीती हुई बहू से बड़े प्यार से उन्होंने उसकी तबियत के बारे में पूछा, तो वह नज़रे चुराती हुए बोली, “अरे मां! आप फिक्र न करो। हैंगओवर था, नींबू पानी से उतर गया है।”
रसोई से बाहर उठते हुए उन्हें अपने ही पाँव भारी लग रहे थे।
अंजु गुप्ता ✍🏻