गीत/नवगीतभजन/भावगीत

जीवन आह्वान 

हे राम राम हे राम राम हे राम राम रघुनंदन
कोटि कोटि प्रणम्य करूँ मैं दुख भय भंजन
अविरल अनुपम हृदय में पावन भाव भरो
सहज सरल सुकोमल सम मेरा स्वभाव करो
कष्ट हरो सीयापति कौशल्यासुत हे भगवन
स्वर्णिम धवल सा यूँ जीवन का बसंत खिले
सिंधु बने हृदय से प्रेम के मोती अनंत मिले
आराध्य शंभु आपके आराधक शंभु आपके
दोनों से प्रार्थना भाव न आये मन में पाप के
गंगा सा मेरा हृदय करो शुद्ध करो अंतर्मन
योग्यता ऐसी दो निज कुटुबं का निर्वाह करूँ
रिपुओं को परास्त कर न कोई परवाह करूँ
राष्ट्र के सम्मान हेतु स्वाभिमान के लिए सदा
आन बान शान व नारी सम्मान के लिए सदा
कालिका मैं बन राम करूंगी दुष्टों का मर्दन
कलम की शक्ति से विश्व में निरंतर जय करूँ
संकटों की राह मोड़ जीत की मैं यूँ लय भरूँ
तूफान का मैं रुख मोड़ फौलाद का चूर कर
हौसलों के उडा़न से सफलता का मजबूर कर
हे राम शक्ति दीजिये जीवन का हो यूँ सृजन
हे राम राम हे राम राम हे राम राम रघुनंदन
— आरती शर्मा (आरू) 

आरती शर्मा (आरू)

मानिकपुर ( उत्तर प्रदेश) शिक्षा - बी एस सी