ख़ामोशी
माँ की स्निग्ध कोख में,
अंधेरे में है ख़ामोशी।
गाँव के कोने के मंदिर के,
पीपल वृक्ष के तले है ख़ामोशी।
पंछियाँ चहचहकने से पहले,
पूरी प्रकृति में है ख़ामोशी।
क्षितिज के नीचे,
गहरी, सुनहरी अंबुधि में है ख़ामोशी।
मरूस्थल के बीच के,
छोटे नखलिस्तान में है ख़ामोशी।
तारे टिमटिमाते हुए,
काले नभ में है ख़ामोशी।
ख़ुशी की ख़बर सुनकर,
हँसने से पहले है, एक पल की ख़ामोशी।
नींद में देखा जाए तो ख़्वाब,
उसमें भी है बहुत गहरी ख़ामोशी।
पर किसी की खटखटाहट से,
गायब हो जाए तो यह ख़ामोशी,
तब अचानक ख़ामोशी की जगह,
लेगी एक सनसनी।