कविता

प्रेम

प्रेम केवल सात दिनों का नही
बल्कि
सात जन्मों का बन्धन होता है
प्रेम शाश्वत  है
ना मिटता है
ना मरता है
अमर होता है।
एकबार बन्ध गया
तो छूटना मुश्किल
प्रेम को पाना मुकद्दर होता है
लेकिन प्रेम को निभाना
बड़ी बात।
हम जिसे चाहते हैं
उससे निभाते।हैं।
ये हमारी भारतीय परंपरा है।
और हम ख़ुश रहते हैं।
प्रेम सहज अनुभूति है
जो सोच समझ कर नहीं होती
बस हो जाती है।
और वही
हमारे लिए ख़ास हो जाता।
प्रेम भौतिकता से परे
एक सुखद एहसास होता है।
जो ताउम्र चलता है।
— मणि बेन द्विवेदी

मणि बेन द्विवेदी

सम्पादक साहित्यिक पत्रिका ''नये पल्लव'' एक सफल गृहणी, अवध विश्व विद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर एवं संगीत विशारद, बिहार की मूल निवासी। एक गृहणी की जिम्मेदारियों से सफलता पूर्वक निबटने के बाद एक वर्ष पूर्व अपनी काब्य यात्रा शुरू की । अपने जीवन के एहसास और अनुभूतियों को कागज़ पर सरल शब्दों में उतारना एवं गीतों की रचना, अपने सरल और विनम्र मूल स्वभाव से प्रभावित। ई मेल- [email protected]