स्वास्थ्य

सरसों का साग

जाड़े के मौसम में विशेषकर जनवरी माह में, मैं जब सब्जी लेने बाजार जाता हूं तो सब्जी लेने में बहुत परेशानी आती है कि क्या सब्जी लूं. सब्जी के ठेले हरी पत्ते दार सब्जियों से लदे दिखते हैं.बैगन,पत्ता गोभी, फूलगोभी,मटर, गाजर ही नजर आती है.
मेरी पसंद इस जाड़े में सरसों का साग रहता है जो पत्नी को भी भाता और उसे वो बथुआ और पालक डाल बनाती है.साथ में मक्का की रोटी और बनाकर खिलाती है. महीने में दो तीन बार तो बन जाता है. एक दिन बनाती है और बचा दूसरे दिन खिलाती है. मैं भी बड़े चाव से खाता हूं.सरसों का साग दो दिन बाद परसों का साग हो जाता है.
सरसों के साग के फायदे
खनिज और विटामिन का खजाना
सरसों का साग खनिज और विटामिन का खजाना है और इसमें बहुत कम कैलोरी होती है. नियमित रूप से इसका सेवन करने से पोषक तत्व प्राप्त होते हैं और यह ऊर्जा भी प्रदान करता है.

हड्डियों और जोडों के लिए
सरसों के साग का सेवन नियमित रूप से किया जाए तो यह हमारे शरीर के लिए बहुत ही अच्छा होता है और यह फायदेमंद उन व्यक्तियों के लिए होता है जिन व्यक्तियों के जोड़ो में दर्द रहता है वह अच्छे से चल फिर नहीं पाते है तो वह व्यक्ति भी इसका सेवन कर सकते है.

आँखों के लिए
आँखों के लिए सरसों का साग बहुत ही फायदेमंद होता है. आँखों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए विटामिन बहुत जरुरी होता है. विटामिन की मदद से आँखों की रौशनी कम नहीं होती है क्योंकि यह आँखों की रौशनी को बनाए रखता है.

दिल के लिए
दिल से जुडी बीमारियों को कम या जड़ से खत्म करने के लिए आप सरसों के साग का सेवन कर सकते है क्योंकि इसमें मौजूद बीटा-कैरोटिन दिल की बिमारी को खत्म करने में हमारी मदद करता है इसलिए हमें सरसों के साग का सेवन करना चाहिए.

गर्भवती महिलाओं के लिए सरसों का साग
Vitamin K की अच्छी मात्रा होना गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत जरुरी होती है. जिन महिलाओं को Vitamin K की कमी होती है. उनको इसका सेवन जरुर करना चाहिए क्योंकि इसमें अच्छी मात्रा में Vitamin K पाया जाता है.

 

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020

One thought on “सरसों का साग

  • *गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    हम तो बड़े ही सरसों के साग से हुए हैं जी . हम खुद खेती का काम करते थे . बिदेस में आ कर भी यह आदत छूटी नहीं , बथुआ को हम पंजाबी बाथू बोलते हैं . वाकई सरसों का साग बी आहूत मजेदार होता है .हमारी माँ , दुसरे दिन कडाही में अद्रक लसुन और पिआज डाल कर तड़का लगाती थी , हम चूल्हे के बैठे होते थे , मक्के की रोटी , घर के माखन और हरी मिर्च से यह खाना, यह छतीस परकार के भोजन खाने जैसा होता था और ऊपर से लस्सी का ग्लास !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

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