हाइकु/सेदोका तीन हाइकु निर्मल कुमार डे 16/02/2022 1 बसंत ऋतु खिले प्रणय पुष्प दिल मचला। 2 प्रेम की भाषा आँखें हुई चंचल निंदिया दूर। 3 जीना बेकार प्रेम स्पर्श न मिला प्यासा हृदय। — निर्मल कुमार डे