सीता सी वामा
सैकड़ों लड़कियाँ देख चुके पर तुझे कोई लड़की पसन्द ही नहीं आती । लड़की देखकर जवाब नहीं देता और दो दिन बाद मना कर देता है । आखिर तुम्हारी पसन्द क्या है राम मनोहर !
राम मनोहर -“लड़की देखने के बाद छानबीन करने पर लड़की में वह समर्पित भावना नजर नहीं आती जो मैं चाहता हूँ माते ।”
शकुंतला -आश्चर्य करते – “समर्पित भावना से तुम्हारा क्या आशय है ?”
राम मनोहर – जैसे प्रभु राम के साथ सीता जी सारे सुख त्यागकर वनवास गई थी, ऐसी समर्पित भावना ।
शकुंतला – पहले स्वयं के बारे में विचार करो कि क्या तुम्हारा आचरण भी मर्यादित राम जैसा है ? तभी सीता सी समर्पित भावों की वामा की चाहना करना उचित होगा ।
इस पर राममनोहर विचारों में खो गया !
— लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला