कविता

प्रीति के रंग

रंग प्रीति के या प्रीति रंग के
भावों को सजाते , अहसास कराते
हमें बताते समझाते रिश्तों का साथ।
बस! हम सचेत रहें
प्रीति का रंग घोलने में न पीछे रहें,
खुद तो रंगें ही औरों को भी रंगते रहें
हर और हर रिश्ते में
रंग प्रीति के बरसाते रहें।
प्रीति के रंग में रंगना सीख लें
अपने साथ साथ औरों के जीवन में
खुशियों की बारिश का आनंद लें,
फिर तो मजे ही मजे होंगे
जब हर ओर रंग प्रीति के बरस रहे होंगे।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921