प्रेम दिवस में भूल ना जाना
प्रेम दिवस को मनाने वालो, एक नजर मां-बाप पे डालो।
वेलेंटाइन डे विस्मृत करके, अब बलिदानी दिवस मना लो।
हिन्दुस्तानी पर्व छोड़कर , भिन्न भिन्न डे मना रहे हैं।
चंद रुपए का गुलाब देकर ,खुद को मूरख बना रहे हैं।
गुलाबी दिवस मनाने वालो, निज पत्नी पर प्यार लुटालो।
वेलेंटाइन डे विस्मृत करके, अब बलिदानी दिवस मना लो।
प्रपोज डे पर कसमें वादे, कुछ तो बाप के साथ निभालो।
भाई बहन को चाॅकलेट देकर ,अपना चाॅकलेट दिवस मना लो।
निज माता के तुम टेडी हो,गोद में सिर रखकर सो जाओ।
चंद विदेशी पर्व मनाकर, पावन संस्कृति ना भुलाओ।
आलिंगन, चुंबन करने वालो, प्रोमिस डे को मनाने वालो।
वेलेंटाइन डे विस्मृत करके, अब बलिदानी दिवस मना लो।
प्रेम दिवस में भूल ना जाना, चालिस के बलिदानों को।
चौदह फरवरी और पुलवामा, देश के शहीद जवानों को।
याद करो जब चिथड़े-चिथड़े, उनके घर में पहुंचे होंगे।
मां-बाप, बहन और भाई के,पीड़ा ने कलेजे नोचे होंगे।
भारत माता के पुत्रों का, मिलकर कुछ तो कर्ज चुका लो।
वेलेंटाइन डे विस्मृत करके, अब बलिदानी दिवस मना लो।
प्रदीप कहें हम कर्जदार हैं, देश के पहरेदारों के।
गूंज उठे यह धरती अम्बर, वीरों के जयकारों से।
याद कर रहे होंगे प्रियजन,राखी और दीवाली में।
जिसने भाई,पुत्र,पति खोया,भारत की रखवाली में।
चौदह फरवरी के अवसर पर,सारे मिलकर कसमें खालो।
वेलेंटाइन डे विस्मृत करके, अब बलिदानी दिवस मना लो।
— प्रदीप शर्मा