आज यहां कल वहां है डेरा
आज यहां कल वहां है डेरा,
कोउ नहिं जाने कहां सबेरा।
कभी मातु की गोद,
कभी किलकारी आंगन में।
कभी भ्रात के साथ,
कभी इकला बागन में।
सारा जीवन ऐसे बीता,
जैसे गली गली बंजारा।
आज यहां कल वहां है डेरा,
कोउ नहि जाने कहां सबेरा।
कोउ नहि जाने इस जग में,
कब कौन किसका बने सहारा।
जीवन जन्म-मरण का फेरा,
आज यहां कल वहां है डेरा।
–अशर्फी लाल मिश्र
जीवन क्षण-भंगुर है।