किताबें
गर हो जाए किसी को किताबों से प्रीत,
फिर ये किताबें भी उससे बातें करती हैं।
कह नहीं पाया है जो उसने जमाने को,
वह बातें अक्सर ये चंद लाइने कहती हैं
गर हो जाए किसी को किताबों से दोस्ती
कि फिर किताबें भी उससे बातें करती हैं
— अभिषेक श्रीवास्तव “शिवाजी”