गज़ल
बेमकसद मुस्कुराना भी कभी उदास होना भी
कभी उम्मीद रखना भी कभी बेआस होना भी
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गम मुझको नहीं है सिर्फ तुझसे दूर होने का
है तकलीफदेह औरों का तेरे पास होना भी
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कोयला भी बदल जाता है वक्त के साथ हीरे में
धीरे-धीरे मुमकिन है आम से खास होना भी
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बिछड़ के तुझसे गुज़रेगी उम्र कैसे हकीकत में
जब इतना जानलेवा है ये एहसास होना भी
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नहीं मिलती फकत चाहने से कोई चीज़ दुनिया में
ज़रूरी है तबियत में ज़रा सी प्यास होना भी
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आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।