कविता

तू मेरे पास आज भी है (कविता)

प्यार के उभरते ज़ज़्बातों का
अहसास आज भी है
वो जो रखा था तूने
अपने हाथों को मेरे हाथों के ऊपर
उस छुअन का
आभास आज भी है
मेरे पलँग के जिस कोने में
कुछ पल बैठी थी तू
उस जगह की सिलवटें
अपनी उसी आकृति में
आज भी हैं
वो एकांत के कुछ पल
जब देखा था हम दोनों ने
एक दूसरे की आँखों मे
बेसुध, बेपरवाह, काफी देर तक
और टकराती रही थी हम दोनों की
गर्म सांसें…..
उसी जगह..
आज भी जब लेता हूँ मैं साँस
तो लगता है
मुझसे टकराती हुई वो साँस
आज भी है
और हाँ.. वो मुझसे जुदा होने से पहले
वो आखिरी रात
जब रात भर रखा था तूने
मेरे चेहरे पर अपना चेहरा
मेरे चेहरे पर तेरे चेहरे की चमक
आज भी है
और जाने से पहले
जो गले लगाया था तूने मुझे
उस जकड़न से बनी
मेरी शर्ट पर सलवटें आज भी हैं
आह.. तू ये मत समझना कि तू दूर है मुझसे
जिस्म दूर सही
पर तेरे होने का अहसास
हरपल..हरदम.. आज भी है
तू मेरे पास.. आज भी है

महेश कुमार माटा

नाम: महेश कुमार माटा निवास : RZ 48 SOUTH EXT PART 3, UTTAM NAGAR WEST, NEW DELHI 110059 कार्यालय:- Delhi District Court, Posted as "Judicial Assistant". मोबाइल: 09711782028 इ मेल :- [email protected]