भाषा-साहित्य

हम क्यों लिखते हैं?

शौक से शुरू हुआ लेखन फिर सामाजिक दायित्व के निर्वाह का भाव ले लेता है। जिसे हम साहित्य के माध्यम से अपनी जिम्मेदारियों के रुप में महसूस कर लिखते हैं। स्वाभाविक भी है कि एक नागरिक के तौर पर राष्ट्र और समाज के प्रति हमारी भी जिम्मेदारी है। हम अपने लेखन से समाज को दिशा देने, आइना दिखाने और सकारात्मक सोच पैदा करने के उद्देश्य से विभिन्न विधाओं में लिखते है। मेरा मानना है कि पूरे जीवन में यदि हम व्यक्ति,समाज या राष्ट्र को अपनी लेखनी के माध्यम से कुछ दे पायें तो मेरे लेखन की सार्थकता होगी। लेकिन सतत लेखन के साथ हम अपने प्रयासों को जारी रखते हुए ऐसी अपेक्षा रखते हैं, तभी उद्देश्य पूर्णता की आशा रख सकते हैं। क्योंकि अब हमारी लेखनी से किसका हृदय परिवर्तन हो जायेगा,यह विश्वास से कह पाना हमारे लिए संभव नहीं है। न ही कब मेरी लेखनी से ऐसा सृजन सामने आ जायेगा, यह सोचना व्यर्थ है। हमारे लेखन का उद्देश्य देने की प्रवृत्ति के साथ सार्थक परिणाम दे सकें, किसी भी रुप में किसी का भी, किसी क्षेत्र या राष्ट्र का भला हो सके।यही मेरे लेखन का उद्देश्य है।

*सुधीर श्रीवास्तव

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