किसानों की पूजा
स्वास्थ्य ही धन है।
धन्वंतरि का बिगड़ा रूप
‘धनतेरस’ में संभव हो
तो स्वास्थ्य खरीदिये,
क्योंकि महर्षि धन्वंतरि
‘आयुर्वेद’ के पितामह थे।
वे ‘आयुर्वेद दिवस’ के रूप में
ख्यात है।
ये धन-संपत्ति ने
हमारे पुरखों को खाया है,
क्योंकि सोना-चाँदी को
इकट्ठे कर
क्या करना चाहते हैं !
इससे न आपको फायदा है,
न ही देश का !
यही तो बेनामी संपत्ति है,
इसे बेमानी संपत्ति भी
कह सकते हैं।
यह कथित ‘धनतेरस’
दुकानदारों के
मानसपुत्र के सिवाय
और कुछ नहीं है।
वहीं माटी भी धन है,
हम इस दिन
क्यों न माटी को
सजीवीकरण करनेवाले
किसानों की पूजा करें !