ताउम्र अहसास
गलतियाँ तो
सुधारी जा सकती हैं,
गलतफहमियाँ तो
सुधारी जा सकती हैं,
मगर ‘गलत सोच’
कभी नहीं
सुधारी जा सकती।
यह सच है,
जीवन है
तो संघर्ष है,
संघर्ष है
तो तकलीफ है,
हर तकलीफ के
साथ-साथ
सुख -दुःख का
अहसास होता है।
इस अहसास के बाद
हम सीखते क्या हैं ?
सीखने का उन्मेष
ताउम्र होती है
यानी हर कोई
आजीवन सीखते हैं।