भजन/भावगीत

भोलेनाथ की महिमा

शिव शंकर में जटा विराजे, सर पर चाँद लगाते हैं।
सीधे-सादे भोले भाले, महादेव कहलाते हैं।।
जो भी माँगो सच्चे दिल से, पूरा वह कर जाते हैं।
श्रद्धा से जो फूल चढ़ाते, मनवांछित फल पाते हैं।।

औघड़ दानी शिव शंकर जी, नाग गले में साजे है।
पहन रुद्र की माला भोले, कर में त्रिशुल विराजे है।।
अर्पण करते दूध दही सब, श्री फल सभी चढ़ाते हैं।
बेल पत्र अर्पण करते ही, भोले खुश हो जाते है।।

गंगा माता जटा विराजे, धरती पर वह आते हैं
शिव शंकर की लीला देखो, जल भी वह बरसाते है।
व्रत रख कर माता बहनें भी, पूजा दिल से करते हैं।
मन्नत माँगे सब भोले से, झोली सब का भरते हैं।।

— प्रिया देवांगन “प्रियू”

प्रिया देवांगन "प्रियू"

पंडरिया जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़ [email protected]