मुशायरे का भव्य आयोजन
दिनांक 26 फरवरी, शनिवार शाम 4बजे पिंकिश फाउंडेशन के स्वरा मंच पर ‘मुहब्बत के रंग’ मुशायरे का भव्य आयोजन किया गया। अनेक पुरस्कारों से सम्मानित गणमान्य कवयित्रियों से मंच सुसज्जित रहा।
कार्यक्रम की शुरुआत निधि मानवी जी के मधुर स्वर में मां सरस्वती की वंदना से शुरू हुई।
उनकी ग़ज़लों से माहौल रंगीन हो गया। उनका यह शेर बहुत पसंद किया गया-
“मुसीबत भरी धूप सर से हटी है
जो साया बनी है दुआएँ तुम्हारी”
नाज़नीन अली की खूबसूरत ग़ज़लें मंत्रमुग्ध करने वाली थी। उनका यह शेर सभी को बहुत पसंद आया-
‘है कलम सच्चा मेरा सादा सा एक पैकर हूं मैं
झूठ के बाज़ार में इक सच की सौदागर हूं मैं”
नीलिमा पांडे जी की शायरी प्रेम के रंग से सरोबार थी।उनकी ये पंक्तियाँ श्रोताओं को बहुत पसंद आईं-
“इस दुनियाँ के रंग निराले,कभी कालिमा, धनक कभी
जीव खिलौने बनकर निशिदिन आते जाते रहते हैं|”
तूलिका सेठ जी की गजलों में प्रेम और होली के रंगों का अनूठा संगम देखने को मिला।
उनका यह शेर बहुत पसंद किया गया-
“ये प्यार और ख़ुलूस की महफ़िल है साथियों
ले जाके तोड़ दो कहीं नफ़रत का आईना।”
अपनी खूबसूरत ग़ज़लों से डॉ बबीता जी ने कमाल की प्रस्तुति दी।
रेणु हुसैन जी को तरुन्नम में सुनना रोमांचक अहसास था।ये शेर सभी को पसंद आये-
“नज़र से जो चिलमन हटाई न होती
लबों पे मेरे फिर दुहाई न होती
गुलों का महकना महकना न होता
कली की ये रंगत हवाई न होती”
कार्यक्रम की संचालिका इंदु किरण जी की प्रेम और समर्पण पर आधारित शायरी से माहौल खुशनुमा हो गया।
उनकी ग़ज़ल का मत्तला बहुत पसंद किया गया –
“न कोई जीत लिखती हूँ, न कोई हार लिखती हूँ,
हृदय के पृष्ठ पर केवल तुम्हारा प्यार लिखती हूँ।”
इंदु जी का अपने हर मेहमान को शायरी से मंच पर आमंत्रित करना सराहनीय अंदाज है। अंत में उन्होंने स्वरा मंच का संचालन करने के लिए पिंकिश फाउंडेशन का दिल से आभार व्यक्त किया।
— पिंकिश फाउंडेशन