कविता

महा शिवरात्रि

आदि देव श्री महादेव की
निकली है बारात
महाशिवरात्रि के पावन
त्यौहार, का दिन है आज
ढोल नगाड़े डमरु की थाप पर
नाचे शिव के गण
माता पार्वती संग ब्याह रचा
हैं शिव शंकर अति प्रसन्न ।।

भोले नाथ के मंदिरों में
गूंज रहे घंटे घड़ियाल
श्रंगार देखते ही बनता है
भक्तों की लगी लम्बी कतार
दूध दही मधु बेलपत्र से
शिवलिंग का सब करते वंदन
भूतनाथ के भक्त निराले
भांग धतूरा करते अर्पण ।।

भोले बाबा मुंहमांगा बरदान दे रहे
सबको बांटते खुशियां
खुद विषपान कर रहे
अपनी ही बारात में
अजब हैं स्वांग रचाते
पहुंचे सारे बाराती
गंगाधर नजर न आते ।।

अकाल मृत्यु से आप बचाते
मृतुन्जय आप ही कहलाते
श्मशान में डालकर डेरा
भस्म वहां की तन पर लगाते
द्वादश ज्योतिर्लिंग आपके
भक्तों को सदा आनंदित करते
देश विदेश से करोड़ों भक्त जन
दर्शन करने को आतुर रहते ।।

योग ध्यान और तप के लिए
आज का दिन अत्यंत ख़ास है
सात्विक भोजन, सात्विक विचार
स्वस्थ जीवन का आधार है उपवास और भजन कीर्तन से
तन मन में शुद्धता आती है
अच्छे विचारों से मन मंदिर सजाएं
महाशिवरात्रि हमें सिखलाती है ।।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई