कविता

ऊँ नमः शिवाय

हे भोलेनाथ हे शिवशंकर,
हे औघड़दानी हे त्रिपुरारी
महिमा तेरी अजब निराली
होते सब तुम पर बलिहारी।
कृपा तुम्हारी बरसे उस पर
जो भी शरण में आता है,
भांग धतूरा बेलपत्र संग
पूजा तुम्हारीकरता है।
श्रद्धा से जल भी तुमको
जो नित अर्पित कर देता है,
कृपा तुम्हारी पाकर उसका
जीवन धन्य हो जाता है।
हे नागेश्वर,हे लोधेश्वर
हे बद्रीनाथ, हे केदारनाथ
अनगिन नाम तुम्हारे प्रभु जी
बम बम बम हे विश्वनाथ।
माँ गंगा को धरा पर लाकर
जग को तुमने तारा है,
पापियों के भी पाप धुल सके
माँ गंगा को जमीं पर उतारा है।
भोले तुम सचमुच भोले हो
भक्तों के तुम रक्षक हो,
पापी तुमसे दूर भागते
उनके तुम संहारक हो।
अजब गजब तुम्हारी लीला प्रभु
नहीं समझ में कुछ आता है,
पर अपने भक्तों से प्रभु जी
बहुत ही गहरा तुम्हारा नाता है।
कल्याण करो प्रभु जन मन का
पाप धरा से मिट ही जाये,
सारे पापी आ शरण तुम्हारे
बस ऊँ नम: शिवाय गायें।
इतनी विनती हमारी प्रभु जी
एक बार स्वीकार करो,
सारी दुनिया के हर प्राणी का
हे नीलकंठ तुम दु:आ हरो।
मैं भक्त नहीं हूँ तो क्या
तुम तो मेरे स्वामी हो,
पूजा पाठ न जानूँ प्रभु जी
तुम तो अंतर्यामी हो।
ऊँ नम: शिवाय!
ऊँ नमः शिवाय!!
ऊँ नमः शिवाय!!!

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921