लघुकथा

ब्रह्मांड का दरवाजा

कार में बैठी सरला यों तो पोती सुमेधा की शादी में जा रही थी, पर कार के आगे-आगे दौड़ते जाने पर भी उसकी विचारधारा 20 साल पीछे पहुंच गई थी.
“20 साल पहले सुमेधा की मां दुर्घटनाग्रस्त होकर सुमेधा की सफलता के सारे दरवाजे बंद कर गई थी. बिना मां की बच्ची भला कौन-से दरवाजे को खटखटा सकती थी!”
“तब रचणहारे ने मेरी बुद्धि का दरवाजा खोल दिया था, मेरी बुद्धि का दरवाजा क्या खुला मानो पूरे ब्रह्मांड का दरवाजा खुल गया.” सरला पल-पल रचणहारे के शुकराने अदा कर रही थी.”
एक हितैषी पड़ोसिन ने कहा- “मधु तो अब वापिस आ नहीं सकती, कोमल-कमनीय सुमेधा की चिंता करो. उसके मामा को कहो, कि वह आकर उसको कुछ दिनों के लिए उसे ले जाए. मधु का पार्थिव शरीर न जाने कैसी हालत में आएगा, बेचारी बच्ची की जिंदगी खराब हो जाएगी.” सरला उस पड़ोसिन की भी शुक्रगुजार थी.
“फिर बेटे की उम्र की ही लड़की के साथ उसकी शादी कराके उनको नए घर में भेजा, सुमेधा को वहां इतना प्यार और अपनत्व मिला, कि उसके सरल मन को कभी मधु की याद भी नहीं आई.” प्यारी-सी मधु की याद में उसके दो अश्रु कण छलक पड़े.
“उसकी मां ने उसको पढ़ाई-लिखाई के अतिरिक्त सुसंस्कारों से भी सुसज्जित किया था. अच्छी व सम्मानजनक नौकरी के साथ-साथ घर के कामों में निपुणता और व्यवहार कुशलता उसके प्राकृतिक आभूषण थे.”
“आभूषण!” सुमेधा के लिए बनवाए गए आभूषणों की पोटली को टटोलकर वह सुमेधा के वर के ख्यालों में खो गई.
“ममी जी, मैं सुमेधा को ही चाहता हूं, आभूषणों और टीम-टाम को नहीं. शादी को सादगी से ही सम्पन्न करिएगा. मेरे लिए सुमेधा ही पूरा ब्रह्मांड है.”
“फिर भी आशीर्वाद-स्वरूप बच्ची को कुछ आभूषण तो देने ही होंगे न!” सरला खुद से कह रही थी.
गाड़ी में बैठे और लोग न जाने क्या देखते जा रहे थे, सरला को ब्रह्मांड का दरवाजा ही दिखाई दे रहा था.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “ब्रह्मांड का दरवाजा

  • *लीला तिवानी

    ब्रह्मांड में सभी ग्रह, तारे, गैलेक्सियाँ, खगोलीय पिण्ड, गैलेक्सियों के बीच के अंतरिक्ष की अंतर्वस्तु, अपरमाणविक कण, और सारा पदार्थ और सारी ऊर्जा सम्मिलित है। अवलोकन योग्य ब्रह्माण्ड का व्यास वर्तमान में लगभग 28 अरब पारसैक (91.1 अरब प्रकाश-वर्ष) है।[ पूरे ब्रह्माण्ड का व्यास अज्ञात है, और हो सकता है कि यह अनन्त हो।

  • *लीला तिवानी

    सुमेधा का अर्थ है समझदार, प्रतिभाशाली, व्यावहारिक

  • *लीला तिवानी

    कभी-कभी, जब एक दरवाजा बंद हो जाता है, तो एक पूरा ब्रह्मांड खुल जाता है. ब्रह्मांड का दरवाजा उन्हीं लोगों के खोलने से खुलता है, जो दिलेरी और समझदारी से उसे खोलने की कुव्वत रखते हैं.

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