कविता

होली एक रंग अनेक

कभी इकरार की होली ,कभी इंकार की होली।
इधर श्रृंगार की होली,उधर है प्यार की होली ।
गुलाबी गाल की होली,लगे गुलाल की होली ।
बसंती ताल की होली,कहीं धमाल की होली।
दोस्ती -यारी की होली,भरी  पिचकारी की होली।
ज्यों शिकारी की होली,है मारा-मारी की होली।
ननद-भौजाई की होली,चूड़ी-कलाई की होली।
भाँग -ठंढाई की होली,पूड़ी -मलाई की होली।
रंग और राग की होली,फागुनी फाग की होली।
समर्पण -त्याग की होली,दिले बेदाग की होली।
गीत-संगीत की होली,परस्पर प्रीत की होली।
अनोखे रीत की होली,सभी मन मीत की होली।
— बिनोद बेगाना

बिनोद बेगाना

जमेशदपुर, झारखंड वाट्सप नं 9204600518