कविता

हमें युद्ध चाहिए

शांत के प्रेम पुजारियों
कुछ तो शर्म करो,
अब इतना रहम करो
शांति की बात न करो।
क्या रखा है शांति शांति चिल्लाने में
जो मजा मरने मारने में आ रहा
उसका आनंद तो उठाने दो।
क्या फर्क पड़ता है
बेकार सिर मत पीटो यार
वो मार रहे हैं तो मारने दो,
तबाह होकर तबाही फैलाने का
बेखौफ पाप कर रहे हैं ,करने दो।
जो मर रहे है, उन्हें मरने दो
जानबूझकर हीरो बन रहे हैं,बनने दो
अपनी तबाही पर भी गूरुर तो देखिए
अपने ही लोगों को मरने के लिए
मौत के मुँह में झोंक रहे हैं, झोंकने दो।
कोई अपने अस्तित्व के लिए वार कर रहा है
तो कोई खुद को बचाने के लिए
पलटवार कर रहा है।
अब इसमें आप क्यों अपना सिर खपा रहे हो,
मृत्यु के तांडव आनंद उठाओ
श्मशान हर ओर दिख रहा, खुशियां मनाओ
भविष्य की बढ़ रही दुश्वारियों पर,
गीत, छंद, कविता, चुटकुला सुनाओ
कल हमें भी इस दौर का सामना करना पड़ सकता है
कम से कम आज के इस दौर की
अठखेलियों का पूरा मज़ा तो उठाओ।
अरे यार! कुछ तो दिमाग लगाओ
मर रहे इंसान कीड़े मकोड़ों की तरह
घट रहा है धरती का बोझ
कम से कम घटने तो दो।
लोग मरेंगे तो बचे लोगों का महत्व बढ़ेगा
अगली पीढ़ियों को नया इतिहास भूगोल
पढ़ने को तो मिलेगा।
मरने वालों की सम्पतियों पर
जीने वालों का कब्जा होगा,
उनका जीवन स्तर बढ़ेगा।
यार थोड़ा दिमाग तो लगाओ

क्या पता हमें आपको भी
विश्वपटल पर चमकने का
कोई रास्ता मिल जाएगा,
क्या पता विश्व का नेता बनने का
मुझे ही अवसर मिल जाए।
यार अब बस भी करो
शांति वांति के चक्कर में
मेरी उम्मीदों का कत्ल तो न करो,
शांति का बेसुरा राग न गाओ
मुझे युद्ध चाहिए
मेरी भावनाओं का तो ख्याल करो।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921