एक्सीडेंट
बड़े होने पर दोस्त ज़रूर बनते हैं, लेकिन बचपन के दोस्तों का अगल ही जुड़ाव होता है । यही जुड़ाव मोहिनी और सुजाता में थ। हालाँकि रुचियाँ अलग होने की वजह से बड़े होकर उन्होंने अलग-अलग कॉलेजों में एडमिशन ले लिया था, पर आज भी उनकी दोस्ती में बचपन वाली मिठास थी।
इतने सालों में यह पहली बार हुआ था कि मोहिनी उसे बिना कुछ बताए सपरिवार कहीं घूमने चली गयी थी। सुजाता ने बहुत से फ़ोन भी किए, पर हर बार मोहिनी का फ़ोन भी श्यामा आंटी के पास ही मिला। न जाने क्यों वो किसी मैसेज का जबाब भी न दे रही थी। अजब सी उलझन थी, पर सुलझती तो तभी न जब मोहिनी सामने होती।
लगभग हफ्ते बाद श्यामा आंटी ने फ़ोन कर उसे घर आने को बोला। कॉलेज से वापिस आते ही सुजाता मोहिनी के घर भागी। यादों का खजाना जो बांटना था अपनी दोस्त के साथ। आखिर पिछले एक हफ्ते से दोनों की मुलाकात ही न हुई थी। दरवाजा खोलते ही आंटी ने सुजाता के सिर पर हाथ रखा और रोते हुए कमरे में चली गयीं और मोहिनी,,, वो भी सुजाता के गले मिल कर फफक पड़ी ।
“क्या रोहित ने ?” सुजाता के मुँह से बस इतना ही निकला।
जबाब में हामी भर कर मोहिनी कटे वृक्ष की तरह गिर, बिलखने लगी। तुमने मुझे कितना समझाया था, पर मैं ही नासमझ थी। अंकल का बेटा था, इसलिए घर पर आनाजाना लगा ही रहता था। तुम्हें पता है सुजाता, जब वो पिछले हफ्ते घर आया , तो घर पर कोई न था। उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और फिर… मैं उससे छोड़ने की भीख मांगती रही लेकिन उसने एक न मानी । “मैं मरना चाहती थी, पर मम्मी डैडी मुझे इस माहौल से बाहर ले गए ताकि मैं वह गम भूल सकू। अब तूँ ही बता कोई यह गम भूल सकता है ।” मोहिनी ने बिलखते हुए पूछा।
“मैं तेरा दुःख समझती हू। ” सुजाता बोली।
“यह दुःख तो वही समझ सकता है जिस पर यह बीती हो। बाकी सब कहने की बातें हैं। ” मोहिनी जज्बाती हो अपनी ही दोस्ती का अपमान कर बैठी।
“तुझे मेरे मामा का लड़का याद है जिसके साथ पिछले वर्ष एक्सीडेंट हुआ था। ” सुजाता बोली तो मोहिनी उसकी तरफ देखने लगी।
“हाँ ! तूने बताया था कि अब वह बाप नहीं बन सकता ? पर सच बोलूं तो मुझे बड़ा अजीब लगा था जब ऐसी मनहूस खबर बताते हुए तेरे चेहरे पर अजीब सा सकूँ दिखा था।” मोहिनी ने बात पूरी की।
“क्यों न होता, वो एक्सीडेंट मेरे जख्मों को भरने के लिए जरुरी था। ” सुजाता की आँखों की नफरत बहुत कुछ कह गयी थी। “सुन मेरी जान, एक दुर्घटना जिंदगी को ख़त्म नहीं कर देती। हम आज की नारी हैं। कड़वी यादों को भूल जाओ और खुद को इतना बुलंद करो कि जिसने तुम्हें जख्म दिए हैं वो अपनी करनी पर खुद पछताए । ”
“अब मैं नहीं, रोहित रोएगा।” आत्मविश्वास से मोहिनी बोली , “चलिए मम्मी ! मैं पुलिस में कम्प्लेन करने को तैयार हूँ।”
अंजु गुप्ता