कविता

रूठों को मनाना है

आई होली रूठों को मनाना है
रंग प्रेम हमको लगाना है।

जो हमसे रूठे और ख़फ़ा हैं
उनको प्रीत के रंग रंगाना है।

हमसे जो नाराज़ और,उदास हैं
उस उदासी में ख़ुशी भर जाना है।

हो गई ग़र हमसे कोई नोक-झोंक
इस फ़लसफे में प्यार जताना है।

हमे कोई बेवज़ह बूरा न समझे
इस भरम को रंगों से मिटाना है।

हम तुम्हारे अपने हैं ग़ैर न समझना
इस होली में प्यार के रंग रँगाना है।

प्यार के रंग की होली रँगाऊंगा
जो दूरियाँ है उसे नज़दीक बनाना है।

इस बार की होली यादगार बने
ऐसा दिल में प्यार का रंग भर जाना है।

— अशोक पटेल “आशु”

*अशोक पटेल 'आशु'

व्याख्याता-हिंदी मेघा धमतरी (छ ग) M-9827874578