तौहीन
अपने को ज्यादा स्मार्ट समझने की गलतफहमी में नित्या दूसरों की तौहीन करने से भी नहीं चूकती थी ।
“यार, तुम्हारा अच्छा है, आज भी पुराने सूट पूरे आ जाते हैं। ” लम्बी पतली मायरा की प्रशंसा करते हुए सोनिया बोली।
इससे पहले मायरा जबाब देती, नित्या बोल उठी, “तुम्हारे कहने का मतबल है कि मायरा ने पुराना सूट पहना है ? फिर खुद ही खिसयानी हंसी हँसते हुए बोली, “अरे बुरा न मानना! पर मैं बहुत मजाकिया हूँ। ”
“यार अब इतने भी बुरे दिन नहीं आए कि तुम्हारी बातों को इतनी अहमियत दूँ । न तुम्हारे दिल में कुछ है और न दिमाग में। सही कहा न ?….. अगर होता तो मुझे कहने से पहले सौ बार सोचती ।” अगले पिछले हिसाब पूरे करते हुए मायरा बोली ।
तौहीन और मज़ाक का फर्क नित्या की समझ में आ चुका था।
अंजु गुप्ता ✍🏻