युद्ध
1. वर्चस्व की लड़ाई में सर्वस्व भस्म कर रहा
कोई जिंदा लाश बन गया, तिल-तिल के कोई मर रहा
2. है नाक को बचाने में, क्यूँ सर कलम हैं हो रहे ?
बमों की गर्जनाओं का ये शोर जाने कब थमे ?
3. शहर वीरान हो गया, हैं बस्तियां उजड़ गईं
नव कोंपलें खिली नहीं, वसंत में ही झड़ गईं
4. रूदन कहीं, क्रंदन कहीं, है दासता, बंधन कहीं
ये शांति मरघट की है, जो कह रही जीवन नहीं
5. अनाथ बच्चे पूछते, कहाँ हैं मेरे बाप-माँ ?
गर जीत भी गए जो तुम, जवाब दे सकोगे क्या ?
6. छोटी सी ही तो बात है, ना मैं सही, ना तुम ग़लत
ये जंग होती ही नहीं, जो जान लेते तुम फ़क़त
7. विध्वंस को अब रोक लो, इस युद्ध को विराम दो
सृजन का बीज बो दो तुम, बस शांति का नाम लो
— गगन मेहता, रांची (झारखंड)