कविता

मौन

मौन कतई चुप्पी नहीं
मौन तो एकाग्रता है
ज्ञानेन्द्रियों में तालमेल बिठाने का
इन्द्रियों को संकेंद्रित कर
आंतरिक शक्तियों को जाग्रत करना
मन, मौन और मनन
आंतरिक चेतना में संवाद
असंभव कार्य को भी संभव करना
मन को साधना
मनन का आरंभ है
शून्य में प्रवाहित तरंगीय शक्ति को
मानव शरीर मे संचित करना
वास्तविक मौन है
वायु में बहती तरंगें
जल में औषधीय गुण
सूर्य किरणों में ऊर्जा
धरती से पोषक तत्व
अंतरिक्ष से विकरित असंख्य किरणें
इच्छाशक्ति को दृढ़ करती
बड़े से बड़ा लक्ष्य को सरल और संभव करती
प्रकृति में संचित उर्जापुंज को
आत्मसात करने की
शक्ति है मौन
मौन में जीवन का मूल है।

*बबली सिन्हा

गाज़ियाबाद (यूपी) मोबाइल- 9013965625, 9868103295 ईमेल- [email protected]