जीवन
जीवन
संघर्ष है समर्पण है
कैसे हैं हम दिखाता दर्पण है
निरंतर चलता है
कभी ना रुकता है
आखिर में बस सामने
मौत के झुकता है
खट्टे मीठे फलों की साज बनाता है
खुशी गम के गीतों की आवाज बनाता है
डूबता सूरज है ये तो उगता सवेरा भी है
अलग-अलग कहानी किरदार
कभी मेरा कभी तेरा है
इठलाता बचपन कभी झुर्रियों से लबरेज है
कभी कांटों की कभी फूलों से सजी सेज है
घटा घनघोर बादल सा है
कभी-कभी माता के आंचल सा है
ये तो जन्म से मृत्यु तक का पूरा हिसाब है
पढ़ लो इसे सारा ये एक खुली किताब है