काव्य दिवस है आज (21 मार्च)
काव्य दिवस है आज
यह सुन कविता मुस्कराई
इसी बहाने चलो
हमारी याद तो आई ।।
गीतों ग़ज़लों की महफ़िल
के ठाठ बड़े हैं
इनको गाने वालों के
अंदाज बड़े हैं
सुनने कहने वालों में हैं
मशहूर हस्तियां
मैं भी खुश हो जाती हूं
जब कोई पढ़ता कविता ।।
कम शब्दों में अपनी बात
आप तक पहुंचाती
हास्य व्यंग के रंग से
आपको खूब हंसाती
जब मिल जाता बड़ा मंच
खुद पर इतराती
देकर कवि को धन्यवाद
मैं धन्य हो जाती ।।
द गोपाल साहित्य मंच से
मेरी और पहचान बढ़ी है
नए नए कवि जुड़े बहुत से
देखकर छाती चौड़ी हुई है
गुलदस्ते में रोज रोज नयी
कविताओं के सुमन महकते
कल्पनाओं के पंख पे चढकर
नील गगन की सैर हम करते ।।
काव्य और कविताओं का यूं ही
आदान प्रदान चलता रहे
साहित्य हमारा और भी चमके
मेल मिलाप बढ़ता रहे
गीत संगीत से सजे महफिलें
सबका उत्साह बढ़ता रहे
मां शारदे की कृपा हो सब पर
कविता का दौर निखरता रहे ।।
— नवल अग्रवाल