कविता

कविता

आखिर कलम आज उठ ही गई
बहुत दिनों से सिमटे हुए पन्ने
आखिर आज खुल ही गए
सोचते हुए शब्द आज बोल ही पड़े
जिंदगी की ये राहें
बहुत मुस्किल से भरी है
कई शिकायते है जिंदगी से
कई रूकावटे है रास्ते में
न जाने कितने ख्वाइशें लेकर
परेशान है जिंदगी
आखिर कहां है आखिरी पड़ाव
खुद के हौसले पर भरोसा कर
ये सफर जारी है जिंदगी का।
— बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।