भूला ना पाओगे
लाख हमसे तुम नफरत कर लो
याद बहुत मैं आ ही जाऊँ गा
तेरी आँखों की तन्हाई में
अपना अक्स दिखा जाऊँगा
झटक दो अपनी जुल्फों से हमको
बुंदे बन कर तब गिर जाऊँगा
तेरी आँचल में ही गिर कर
तेरी ही गोद में समां जाऊँगा
मेरी यादें को रूखसत कर देना
चिता में मैं जब जल जाऊँगा
तेरी दिल के नैनों से अक्सर
अश्क बह धरा पे बिखर जाऊँगा
जब रातों में बिस्तर पर होगी
नजरों में मैं ही दिखता जाऊँगा
ख्वाबों में अपनी तुम मुझे छिप कर
मेरी ही तस्वीर नजर आऊँगा
बेवफाई की जो दर्द दिया है
उसे अमृत मान गले लगाऊँगा
लाख भूलाने की कोशिश कर लो
याद बहुत तुम्हें मैं आऊँगा
— उदय किशोर साह