अजब रंगरेजी-कारीगरी
हम जिस दुनिया में रहते हैं वह कितनी रंगबिरंगी है यह शायद हम पूरा-पूरा न जान पाएं, क्योंकि हमने तो दुनिया का एक अंश ही देखा है. सृष्टि में तो न जाने कितने ऐसे रंग हैं, जो हम देख-सोच भी नहीं सकते!
प्रकृति में न जाने कितने ही रंग हैं- सावन की हरियाली, पूस की गुलाबी सर्दी, कार्तिक में धरा का सुनहरी लिबास, ऋतुराज बसंत में सरसों के पीले फूल, फागुन में टेसू-पलाश के लाल-नारंगी फूल, मनभावन होते हैं.
प्रकृति की तरह हमारे अंदर छिपी भावनाओं का रंग भी अलग-अलग होता है. शर्म के मारे हमारा चेहरा लाल होना, खुश होने पर चेहरे पर गुलाबी रंगत छा जाना, अस्वस्थ होने पर शरीर पीला पड़ना, डर के कारण चेहरा सफेद पड़ जाना, मृत शरीर पर शरीर नीला-काला पड़ जाना और क्रोध से तमतमाया हुआ होने पर चेहरा सुर्ख लाल रंग का हो जाना तो हम सबने देखा ही है.
यह सब अजब रंगरेजी-कारीगरी सृष्टि के बनाने वाले की है. सृष्टि नियंता की अजब रंगरेजी-कारीगरी और भी है-
फ्योंलीः उत्तराखंड में खिल गए हैं प्रेम की कहानी कहने वाले पीले फूल
उत्तराखंड की रिति पाख्यों (खाली घाटियों ) में बसंत के साथ एक सुंदर सा पीला फूल खिल आया है। पांच पंखुड़ियों वाले फ्योंली के फूल को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। हस साल बसंत से कुछ पहले खेतों के किनारे जंगलों में फ्योंली के फूल खिलने शुरू हो जाते हैं। नजारा कुछ ऐसा हो जाता है, मानो जैसे किसी ने पीली चार बिछा दी हो। चैत यानी चैत्र के महीने शुरू होने वाली फूल देई के त्योहार में यह फूल बच्चों को सबसे ज्यादा पसंद आता है। अपनी कंडी यानी टोकरियों में भरकर वे फ्योंली के फूलों को गांव के हर घर के देहरी पर बिछा आते हैं। उत्तराखंड में फ्योंली को प्रेम और संघर्ष का प्रतीक मानने के पीछे कई कहानियां जुड़ी हैं। यह नाजुक सा फूल पहाड़ में ऐसी जगहों पर भी उग जाता है, जहां कुछ भी उगना मुमकिन नहीं है। चिंता की बात यह है कि यह फूल धीरे-धीरे कम हो रहा है।
कुदरत का कमाल: ये पेड़ जैसे-जैसे छोड़ता है अपनी छाल, रंग जाता है ‘इंद्रधनुष’ के रंग में
इस पेड़ का नाम यूकेलिप्टस डिग्लुप्टा है. यह अद्भुत और अविश्वसनीय पेड़ मुख्य रूप से हवाई, फिलीपींस, इंडोनेशिया, पापुआ न्यू गिनी के साथ-साथ कैलिफोर्निया, टेक्सास और फ्लोरिडा के दक्षिणी इलाकों में पाए जाते हैं। ये पेड़ नम वातावरण में पनपते हैं और हर मौसम में 3 फीट तक बढ़ सकते हैं।
अजब रंगरेजी-कारीगरी इस दुनिया में रहने वाले कलाकारों की भी होती है. ऐसे ही एक कलाकार की रंगरेजी-कारीगरी एक पेड़ में देखिए-
इस तस्वीर में छुपी है एक मॉडल, उसे ढूंढ़ना उतना आसान नहीं, जितना आप सोच रहे हैं
आर्टिस्ट ने जर्मनी के लोअर सैक्सनी में एक जंगल में फोटोग्राफर स्कूपिन और एक महिला मॉडल की मदद से यह ऑप्टिकल इल्यूजन क्रिएट किया है, जिसे देखकर बहुत से लोगों की नजरें धोखा खा जाती हैं. पतझड़ के मौसम की एक खूबसूरत तस्वीर में एक मॉडल पेड़ से टिकी बैठी हुई है. मॉडल का आधा शरीर पेड़ की छाल की तरह पेंट है, जबकि बाकी का हिस्सा उन पत्तों की तरह रंगा गया है जो जमीन पर बिखरे हैं. जाहिर है भ्रम को क्रिएट करने के लिए आर्टिस्ट को बड़ी बारीकी से मॉडल के शरीर को पेंट करना पड़ा होगा, जिसमें कई घंटे लगे होंगे. जोर्ग ने कार गैरेज, म्यूजिक शॉप्स और ऐसी ही कई जगहों के बैकग्राउंड में मॉडल को रंगा है, जिसमें उसे देखने के लिए आपकी नजरों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है.
Bhagwant Mann : भगवंत मान के शपथ ग्रहण में पंडाल लगा रहा था युवक…और 7 साल बाद परिवार को मिल गया बिछड़ा बेटा
कभी-कभी ऐसी अनोखी बातें भी हो जाया करती हैं!
पुलिस ने भगवंत मान के शपथ ग्रहण स्थल पर काम करने वालों का विवरण एकत्र करते हुए जसविंदर से आईडी मांगी। जसविंदर के पास कोई कागजात नहीं थे। पुलिस ने उससे पूछताछ की तो पता चला कि वह फरीदकोट का रहने वाला है। इसलिए पुलिस ने फरीदकोट पुलिस से जांच की और इस तरह सादिक पुलिस जसविंदर के गांव शेर सिंह वाला पहुंची। उसके पिता दविंदर ने बताया कि उन्हें भी पहले जसविंदर को पहचाने में समस्या हुई क्योंकि उसने पगड़ी नहीं बांधी थी और बाल कटवा रखे थे। वह उसे जिंदा देखकर इतने हैरान थे कि उनके मुंह से शब्द नहीं निकले। जसविंदर तीन बहनों में अकेला भाई है। वे भी अपने भाई को वापस पाकर बहुत खुश हैं। मां की खुशी का ठिकाना न रहा तो पिता फूले नहीं समा रहे थे। इसे किसकी अजब रंगरेजी-कारीगरी कहा जाए! आज के समय में भी पुलिस भी ऐसे अजब रंगरेजी-कारीगरी के काम कर रही है.
इस बच्ची की कारीगरी भी दर्शनीय है-
Mumbai news : मुश्किलों को कैसे तैरकर पार किया जाता है, मिसाल बनी 13 साल की बच्ची से सीखिए
13 साल और 10 महीनों में, मुंबई की जिया राय ने इतिहास रचा है. ऑटिस्टिक बेटी ने 13 घंटे और 10 मिनट में 29 किमी की दूरी तय करने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की और सबसे तेज महिला तैराक बन गई. उसने पाक जलडमरूमध्य (तलाईमन्नार श्रीलंका) से तमिलनाडु के धनुषकोडी तक तैरकर यह कमाल दिखाया. पाक जलडमरूमध्य (मन्नार की खाड़ी) दुनिया के सबसे कठिन समुद्री मार्गों में से एक है.
ऑटिस्टिक बेटी से तो आप समझ ही गए होंगे, मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाले विकार से ग्रस्त बालिका. ऑटिज़्म व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार और संपर्क को प्रभावित करता है. हिन्दी में इसे ‘आत्मविमोह’ और ‘स्वपरायणता’ भी कहते हैं. इससे प्रभावित व्यक्ति, सीमित और दोहराव युक्त व्यवहार करता है जैसे एक ही काम को बार-बार दोहराना. यह सब बच्चे के तीन साल होने से पहले ही शुरु हो जाता है. सामाजिक व्यवहार और संपर्क न रख पाने वाली बच्ची के लिए इतना बड़ा काम अजब कारीगरी ही तो कहलाएगा!
World Water Day: कुआं खोद 27 सालों से राहगीरों की प्यास बुझा रहा ये बुजुर्ग, पढ़ें- भीलवाड़ा के ‘पानी बाबा’ मांगीलाल की कहानी
जिंदगी के 78 बसंत देख चुके यह हैं गुंदली गांव के मांगीलाल गुर्जर। भीलवाड़ा में इन्हें लोग ‘पानी बाबा’ कहते हैं। पिछले 27 सालों से मांगीलाल अपने हाथों से खोदे हुए कुएं से पानी निकाल कर राहगीरों को पिलाने का नेक काम कर रहे हैं। बिना किसी लोभ-लालच के बाबा फ्री में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। पानी का मटका और लोटा लिए पानी बाबा अपने गांव से काफी दूर दूसरे गांवों तक पहुंच जाते हैं। उन्हें बरसों से जल सेवा करते देख रहे लोग भी उनका आदर-सत्कार करते हैं। पानी बाबा जिस भी गांव में जाते हैं लोग उनके खाने की व्यवस्था भी कर देते हैं। ऐसे अजब कारीगर की अजब कारीगरी को हमारा नमन.
कुएं में गिरा जहरीला नाग, शख्स ने अपनी जान पर खेलकर उसे बचा लिया
महाराष्ट्र के नासिक में एक कोबरा सांप कुएं में गिर गया था. कोशिश करने पर भी वह कुएं से बाहर नहीं निकल पा रहा था. ऐसे में एक गैर-सरकारी वन्यजीव अनुसंधान संगठन के स्वयंसेवकों ने इस नाग को रेस्क्यू किया. एक व्यक्ति द्वारा सांप को एक लोहे के औजार के जरिए कुएं से निकाला गया. नाग के उसमें लिपट जाने पर उसे कुएं से बाहर निकाला गया. यह है स्वभाव और साहस की अजब कारीगरी.
यात्री के बच्चे की तबियत बिगड़ी, ड्राइवर बस को ही ले गया अस्पताल, भर्ती कराने के लिए दी दिनभर की कमाई
मुंबई के कुछ ‘सुपरहीरोज’ ने एक अनजान बच्चे को बचाने के लिए अपनी पूरी जान लगा दी। दरअसल, एक 5 साल का बच्चा अपनी मां के साथ BEST की बस में सफर कर रहा था। अचानक उसकी तबियत बिगड़ गई। ऐसे में कंडक्टर और ड्राइवर ने तुरंत एक्शन लिया। उन्होंने बस खाली करवाई और फिर उसे मोड़कर सीधा पास के अस्पताल ले गए, ताकि मासूम को सही समय पर उपचार मिल सके। जब तानवी गावणकर नाम की महिला ने फेसबुक पर इस घटना को साझा किया, तो लोगों ने कहा कि उन्हें यकीन है कि इंसानियत जिंदा है! मुंबई की BEST के BEST हीरोज की अजब कारीगरी मानवीयता की अद्भुत मिसाल है.
अजब रंगरेज-कारीगर की अजब रंगरेजी-कारीगरी देखते ही बनती है. आज के संवेदनाहीन और स्वार्थी समाज में ऐसे ही अजब रंगरेजों-कारीगरों की अजब रंगरेजी-कारीगरी की वजह से यह पृथ्वी टिकी हुई है.
अजब रंगरेजी-कारीगरी की मिसालें और भी हैं, देखेंगे आपके-हमारे द्वारा कामेंट्स में.