अभिनंदन हे नवसंवत्सर
नए दिवस और नए भोर में
अभिनंदन हे नवसंवत्सर।।
अवनी से लेकर अम्बर तक,
पूरब से लेकर पश्चिम तक,
हिमगिरि से लेकर सागर तक
दशों दिशा में स्वागत मनुहार
अभिनंदन हे नवसंवत्सर।।१।।
नयी सुबह है नया उजाला
नयी फसल है नया अनाज
नए पात हैं पुष्प नए हैं
प्रकृति में छाई नयी बहार
अभिनंदन हे नवसंवत्सर।।२।।
सृष्टि का प्रथम दिवस है
श्री राम का अभिषेक दिवस है
शक्ति उपासना का दिन है
धरती करती है श्रृंगार
अभिनंदन हे नवसंवत्सर।।३।।
नए वर्ष में नया गीत हो,
भेद भाव से दूर प्रेम हो
सुख समृद्धि सभी को हो
स्वागत में है पुष्पों का हार
अभिनंदन हे नवसंवत्सर।।४।।