दूसरों को कोसते
जागरूकता,
प्रगतिशीलता,
समानता,
स्वतंत्रता
रह जाते
केवल नारे हैं
अंधविश्वास,
परंपराओं,
समाज व धर्म से
जो हारे हैं
किनारे पर बैठे
अपने ही भय से हारे
दूसरों को कोसते
बेचारे हैं।
जागरूकता,
प्रगतिशीलता,
समानता,
स्वतंत्रता
रह जाते
केवल नारे हैं
अंधविश्वास,
परंपराओं,
समाज व धर्म से
जो हारे हैं
किनारे पर बैठे
अपने ही भय से हारे
दूसरों को कोसते
बेचारे हैं।