ब्लॉग/परिचर्चा

हमने भी सीखा- 11

मुक्तक

आके तेरे दर बिना दीदार के लौट गए
हमारा तो कुछ न बिगड़ेगा
लोग तुम्हें बेवफा कहेंगे.

सफर सफ़रमय ही रहता
जो तेरे होने का मधुर एहसास
साथ नहीं होता.

पॉजीटिव होना अच्छा है
कभी-कभी
निगेटिव होना भी वरदान है
कोरोना ने समझाया है.

जीवन के हर पुल को
पार करते रहे आसानी से
एक तुम ही हो
जिस पर कांटा अटक गया है

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244