ग़ज़ल
पढ़कर तो फायदा हो जाएगा
हम लिखेंगे कायदा हो जाएगा।
यूँ गर तुम होते रहे रूबरु
हमसे यकीनन राब्ता हो जाएगा।
तुम्हारी नजरों की ही जुस्तजू है
देखना एकदिन खता हो जाएगा।
अक्स जिसका आँखों में कैद है
ऐसे तो नहीं रिहा हो पाएगा।
वक्त ही तो है ठहरेगा ही नही
रूह जिस्म से रिहा हो जाएगा।
याद करते है,अकेले होते हैं
साथ चलो काफिला हो जाएगा।
औरों का करते रहे जो बूरा
तुम्हारा क्या भला हो जाएगा।
जिसदिन एक आसरा हो जाएगा
फिर दिल ये फना हो जाएगां।
— सपना चन्द्रा