ग़ज़ल
नज़रे करम की आस लगाए हुए हैं हमराह में जिसकी नजरें बिछाए हुए हैं हम गुरबत के किस्सों को दबाए
Read More“न जाने कौन से पाप किए थे मैंने जो तू मेरी कोख से पैदा हुआ।” विमला अपने इकलौते बेटे को
Read Moreहर बार पापा तनख्वाह लाकर छोटी को दे देते और कहते जाओ भगवान जी को छुआकर प्रणाम कर लेना। वो
Read Moreदो जहान में पिसती है दहलीज जब लाँघती है रिवाजों,रस्मों की बेड़ियां अपने पैरों में बाँधती है छुट जाता है
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