शब्द साधना
खुद को आप दुलारिये, खुद से करना प्यार ।
काम नहीं आयें सदा, लोगों का भरमार।।
भूल भले सब जाइए, इतना रखना याद ।
एक यही जीवन मिला, बाकी सब है बाद ।।
नैनों में सपने बसें, नींद बसे तब दूर।
मन में अपने चाह की, चाह रहे भरपूर ।।
नैन चुगलियाँ कर रही, होठ भले खामोश ।।
काबू रख मन तू सदा ,बेहोशी में होश ।।
चुप है दोनों जान के, अगर पड़े जो बोल ।
जाने कितने राज हैं, खुल जायेंगे पोल ।।
— साधना सिंह